khujli ka gharelu upchar

खाज खुजली Itching

Khujli medicine

homeopathy medicine for itching skin

यह एक जल्दी फैलने वाला चर्म रोग है, हाथ-पैर की उँगलियों, कलाइयों के पीछे और बगल में फुन्सियां निकलती है और धीरे धीरे सारे शरीर में फ़ैल जाती है, बिना फुन्सी या बिना दानो के भी जबर्दस्त खुजली मचती है और लाल चकत्ते के रूप में दिखाई देती है।

खुजली का एक कृमि है जिसका नाम है एकेरस (Acarus scabiei)।  जबतक त्वचा के किसी भी हिस्से में यह कृमि रहेगा, तब तक किसी भी औषधि के मुंह द्वारा सेवन से खुजली नहीं मिटेगी। जो लोग सिर्फ दवाओं देकर खुजली का इलाज करना चाहते हैं, वे जब तक उस कृमि का नाश नहीं कर लेंगे तबतक खुजली नहीं मिटेगी। अगर खुजली का कारण यह कृमि नही है, तब औषधि के सेवन से खुजली मिट सकती है।

 

खुजली को हम मुख्य रूप से 4 भागों में बांट सकते हैं —

(1) बिना दानों के खुजली (Itch without eruptions)

(2 ) दाने होने पर खुजली (1tch with cruptions)।

(3) दानों या बिना दानों वाली खुजली–इन दोनों के स्थान-विशेष से उनके अन्य प्रकार हो जाते हैं। खुजली सारी त्वचा, सिर, मुह, नाक, हाथ, पांव, अंगुलियां, प्रजनन के अंग आदि भिन्न-भिन्न स्थानों में हो सकती है–यह जगह (Locality) की दृष्टि से खुजली का प्रकार है।

(4) बिना दानों वाली या दानों वाली खुजली खुश्क (Dry) या तर (Wet) हो सकती है-यह सुखा (खुश्की) और पानी चलने की दृष्टि से सुजली का भेद है। बिना दानों वाली या दानों खजली के भिन्न-भिन्न परिस्थिति (Modality) में भिन्न-भिन्न प्रकार हो सकते हैं। कोई खुजली स्नान के बाद घट जाती है, कोई । रात को कपड़े बदलते समय बढ़ जाती है, कोई गर्म सेक से घटती है, कोई स्थान बदल लेती है-एक जगह खुजलाएं तो वहां तो ठीक हो जाती है, दूसरी जगह होने लगता है। किसी खुजली में खुजलाते-खुजलाते खून निकलने लगता है। यह परिस्थिति (Modality) की दृष्टि से खुजली का प्रकार है ।

ईलाज – itching treatment

(itching treatment in homoeopathy)

(1) बिना दानों वाली खुजली (ITCH WITHOUT ERUPTIONS)

डोलिकोस प्युरिएन्स 30 – सारे शरीर में बिना दोनों के साफ़ त्वचा पर जबर्दस्त खुजली। कन्धों, कोहनियों, घुटनों तथा बालों वाली जगहों पर विशेष तौर पर होती है। रात को; दायीं तरफ़ खुजली जो खुजलाने से और बढ़ती है। वृद्ध व्यक्तियों की जबर्दस्त खुजली (Senile pruritus) में अत्यन्त उपयोगी है। बवासीर के मस्सों में खुजली होती हो, तो इस औषधि के मूल-अर्क के 10 – 10 बूंद  दिन में 2 या 3 बार। होम्योपैथिक-चिकित्सकों का कहना है कि खुजली के जो मरीज़ खम्मे जैसी किसी सख्त चीज पर अपनी पीठ ऐसे रगड़ा करते हैं जैसे गायें या भैसें वृक्ष के साथ अपनी पीठ रगड़ती हैं, उनकी खुजली इस औषधि से ठीक हो जाती है।

ऐलूमिना 30, 200 – त्वचा के सम्बन्ध में इस औषधि का विशेष लक्षण त्वचा की खुश्की (Dryness of the skin) है। खुश्की से त्वचा फट जाती है, हरपीज़, दाद या एग्ज़ीमा जैसी हो जाती है। खुश्की से नाखून कडक जाते हैं। बिस्तर में लेटते ही इतनी खुजली मचती है कि खुजलाते-सुजलाते खून निकल आता है, फिर त्वचा पर दर्द होने लगता है। अंगुलियों की त्वचा भी फट जाती है। वैसे तो इस औषधि में भी बिना दानों के त्वचा की खुश्की खुजली मचती है, परन्तु कभी-कभी खुश्क दाने भी हो सकते हैं, परन्तु इसका मुख्य -लक्षण खुश्की है, खुश्की से त्वचा को फट जाना है।

आर्सेनिक 30, 200 – खुश्क त्वचा पर खुजली हो, उस पर से छिछ्ड़ें उतरें, और सर्दी से रोग बढें, गर्मी से घटे, बेचैनी हो तो यह औषधि उपयोगी है। इसका यह मतलब नहीं कि इसकीं खुजली में दाने होते ही नहीं। इस औषधि में बिना दोनों के भी खुजली पाई जाती है। अगर मछली खाने से खुजली के लक्षण प्रकट हों तब यह विशेष उपयोगी है।

मेजेरियम 30, 200 – इस औषधि में त्वचा पर छोटे-छोटे दाने तो हो जाते हैं, परन्तु इन दानों में से स्राव निकलते ही वह खुश्क होकर उसकी मोटी पपड़ी बन जाती है जिसके नीचे से लगने वाला मवाद रिसा करता है । इस औषधि में दाढ़ी-मूछ के वालों में खुजली का लक्षण पाया जाता है। खुश्क पपड़ी। पर असहनीय खुजली होती है। जब रोगी खुजलाते-खुजलाते खुन निकाल लेता है।

सल्फर 30–खुजली को प्रायः भिन्न-भिन्न तरह के ऑइंटमेंट या लेपों से दबा दिया जाता है। अगर खुजली या कोई अन्य बीमारी दब जाने के बाद से खुजली तो मिट जाती है, परन्तु कोई दूसरी बीमारी उठ खड़ी होती है। जब किसी रोग के विषय में यह पता चले कि इससे पहले रोगी को खुजली थी, खुजली को किन्हीं बाहरी मलहम या लेप से दबा  दिया गया, उसके बाद वर्तमान रोग प्रकट हो गया, तब इस औषधि को देने से खुजली फिर प्रकट हो जाती है, और वह रोग तो जाता ही रहता है, खुजली भी चली जाती है। इसी प्रकार अगर किसी रोग में अगर पहले खुजली हुई थी जिसे दबा दिया गया था, अब उस रोग के लक्षणों पर निर्दिष्ट दवा देने से लाभ नहीं हो रहा, तब भी इस औषधि के प्रयोग से या तो दबी हुई खुजली प्रकट होकर नष्ट हो जायगी, अगर नहीं प्रकट होगी, तो खुजली के दबने से रोग के ठीक होने में जो रुकावट बनी हुई थी उसे यह औषधि दूर कर देगी, और वह निदिष्ट-दवा जो काम नहीं कर रही थी, अब खूब अच्छी तरह  से काम करने लगेगी। इसका यही अर्थ है कि यह औषधि दबी हुई खुजली की जड़ को नष्ट कर देती है।

 

(2) दानों सहित खुजली (ITCH WITH ERUPTIONS)

  • त्वचा पर जब दाने उभर आते हैं तब उनमें खुजली तो होती है

 एसिड फ्लोर 30 – शरीर में यहां-वहां, छोटे-छोटे स्थानों में खुजली होती जाती है। गर्मी से बढ़ती, सर्दी से घटती है। जख्मों के पुराने घाव-चिन्ह कुछ लाल पड़ जाते हैं और खुजलाते हैं। धीरे-धीरे इन पुराने घाव-चिन्हों (Cicatrices) के आस-पास छोटे छोटे दाने उभर आते हैं जिनमें खुजली होने लगती है। शरीर पर छोटे लाल लाल उभार (Blotches, inflamed patches) के निशान प्रकट हो जाते हैं जिन पर से छिछड़े झड़ने की प्रवृत्ति होती है। यह लक्षण इसमें मुख्य रूप से पायी जाती है।

 

(2) खुजली का स्थान-विशेष (LOCALITY OF ITCH)

क्रोटन टिग 30,200 -इसमें दाने होते हैं जिनमें जबर्दस्त खुजली मचती हैं। रोगी नाखूनों से खुजलाता है जिससे दर्द होने लगता है। यह खुजली विशेष रूप से जननांगों में होती है–इंद्रिय, अण्डकोश आदि में भयंकर खुजली मचती है। अंडकोशों को एग्जीमा हो जाता है, वहां बड़ी तेज खुजली होती है, परन्तु छूने से त्वचा इस कदर चिरमिराती है कि रोग खुजली नहीं कर सकता। पुरुष की जननेन्द्रिय तथा स्त्री की योनि में बेहद खुजलाहट होती है।

रस टक्स 30, 200 नुमा दाने, इस दवा की का खास लक्षण यह है की जहाँ जहाँ खुजली होती है वहा त्वचा लाल हो जाती है, फिर छोटे छोटे दाने हो जाते हैं जिसमे पानी भर जाता है और उसमे बहुत खुजली होती है, त्वचा पर सूजन और छोटे छोटे छाले जिसमे पस भर जाती है, हथेली पर छाले।

 

खुजली पर परिस्थिति का प्रभाव (Modality)

पेट्रोलियम 30,200 – इसका लक्षण यह है की चर्म रोग जाड़े के दिनों में बढ़ जाती है, छोटी छोटी फुन्सियों का झुण्ड जिनमे बेहद खुजली हो, त्वचा सुखा हुआ खुश्क, खुरखुरी त्वचा जो सर्दी में फट जाती हो, त्वचा का चिटक जाना।

सल्फर 1M सप्ताह में 1 बार – रोगी को ठंडा अच्छा लगता है लेकिन नहाने का मन नही करता, नहाने से और रात को परेशानी बढ़ जाती है। खुजली गर्मी से बढ़ते हैं साथ में पैर के तलवों में जलन होती है। रोगी गंदा संदा रहना पसंद करता है, बिछावन की गर्मी से बढती है, खुजलाते समय बहुत अच्छा लगता है फिर उसके बाद काफी जलन होती है ।

मेजेरियम 30,200 – बच्चे का मुह खुजलाना, दाद-जिसमे बहुत जबर्दस्त खुजली, खुजलाते खुजलाते खून निकाल देता है, रात को बिछावन की गर्मी से बढ़ता है। माथे पर पपड़ी बनना और मवाद निकलना जिससे बाल चिपक जाते हैं।

सोरिनम 200, 1M – सप्ताह में 1 बार – बहुत तेज खुजली के साथ सारे शरीर में दुर्गन्ध जो की नहाने से भी खत्म नही होता, त्वचा पर कई तरह के दाने निकलते हैं और तुरत पक जाते हैं, त्वचा गंदी दिखती है, रोगी को सर्दी सहन नही होता  है जिससे गर्मी के दिन में भी शरीर ढके रहता है ।

हेलोनियस 30– स्त्री की योनी में जोर की खुजलाहट और छाले जैसे दानो आदि का निकलना

 

Home remedies for itchy skin

घरेलु उपचार (gharelu upchar)

पानी में नीम की छाल या पत्ते को चूरकर या पीसकर लगाएं 

संतरे के छिलके को चटनी के तरह पीस कर उस लेप को खुजली वाले जगह पर लगायें 

नींबू और चमेली के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर लगाएं

गाजर का जूस पिने से खून साफ़ होता है और खाज खुजली  रोग ठीक हो जाता है 

तिल के तेल में तुलसी का रस मिलाकर लगाने से खुजली ठीक हो जाती है 

गंधक को पीसकर नारियल के तेल में मिलाकर लगाना चाहिए 

खुजली में दही लगाने से भी काफी आराम मिलता है 

पीपल की छल को पीसकर घी में मिलाकर खुजली वाले जगह पर लगायें 

महामरिच्यादी तेल (एक आयुर्वेदिक तेल) को लगाएं 

 

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